पूर्व प्रचारक प्रमोद साहू ने दोहराया संकल्प चारों विकासखंडों के लोगों का महाकुंभ होगा 9 दिसंबर को सिहोरा में आमरण अनशन के साथ सिहोरा बंद का होगा ऐलान — सिहोरा जिला आंदोलन ने तेज की रणनीति
कलयुग की कलम से राकेश यादव

पूर्व प्रचारक प्रमोद साहू ने दोहराया संकल्प
चारों विकासखंडों के लोगों का महाकुंभ होगा 9 दिसंबर को सिहोरा में आमरण अनशन के साथ सिहोरा बंद का होगा ऐलान — सिहोरा जिला आंदोलन ने तेज की रणनीति
कलयुग की कलम सिहोरा – सिहोरा को जिला बनाए जाने की वर्षों पुरानी मांग अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। रविवार को सैकड़ों की संख्या में सिहोरा, बहोरीबंद, ढीमरखेड़ा और मझौली विकासखंडों के प्रतिनिधि सिहोरा में एकत्र हुए, जहाँ सिहोरा जिला आंदोलन की आगामी रणनीति पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 9 दिसंबर को सिहोरा में चारों विकासखंडों का “सिहोरा जिला महाकुंभ” आयोजित किया जाएगा, जिसमें हजारों की संख्या में लोग एकत्र होकर जिला गठन की मांग को प्रखर स्वर देंगे।बैठक में यह भी ऐलान किया गया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक प्रमोद साहू 6 दिसंबर से आमरण अनशन प्रारंभ करेंगे, और उसी के साथ सिहोरा बंद का आह्वान किया जाएगा। आंदोलनकारियों ने इसे “निर्णायक संघर्ष की शुरुआत” बताया है।


पूर्व प्रचारक प्रमोद साहू ने दोहराया संकल्प
बैठक के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक प्रमोद साहू ने भावपूर्ण संबोधन देते हुए कहा कि सिहोरा जिला आंदोलन केवल प्रशासनिक मांग नहीं, बल्कि यह “मातृभूमि के प्रति ऋण चुकाने का संकल्प” है। उन्होंने घोषणा की कि वे 6 दिसंबर से अन्न का त्याग कर ‘सद्बुद्धि यज्ञ’ प्रारंभ करेंगे और 9 दिसंबर से जल का भी त्याग कर देंगे।
प्रमोद जी ने कहा, “सिहोरा भारत का केंद्र बिंदु है, यह भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से प्राकृतिक जिला है। अब समय आ गया है कि सिहोरा की उपेक्षा का अंत हो और यहां के लोग अपनी मातृभूमि के हक के लिए एक स्वर में उठ खड़े हों।”
ग्राम पंचायत स्तर तक पहुंचाएंगे संदेश
लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने आगामी दिनों में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाने की घोषणा की है। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि बहोरीबंद, ढीमरखेड़ा, मझौली और सिहोरा — इन चारों विकासखंडों की प्रत्येक ग्राम पंचायत में सभाएं आयोजित की जाएंगी, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक आंदोलन का संदेश पहुंचाया जा सके।
“चलो सिहोरा यात्रा” के माध्यम से कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर लोगों को 9 दिसंबर को सिहोरा में होने वाले महाकुंभ में शामिल होने का आमंत्रण देंगे। समिति ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन अहिंसक परंतु अडिग सत्याग्रह की राह पर चलेगा, और यह तब तक जारी रहेगा जब तक सिहोरा को जिला घोषित नहीं कर दिया जाता।
9 दिसंबर को होगा ऐतिहासिक महाकुंभ
9 दिसंबर को प्रस्तावित “सिहोरा जिला महाकुंभ” को लेकर तैयारी जोरों पर है। आंदोलन समिति का कहना है कि यह आयोजन केवल सिहोरा का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की भावनाओं का प्रतीक होगा। इस दिन चारों विकासखंडों से हजारों की संख्या में लोग झंडे, बैनर और नारों के साथ सिहोरा पहुंचेंगे।
महाकुंभ में जिले की मांग के समर्थन में एकजुट जनता संकल्प सभा के माध्यम से सरकार को संदेश देगी कि अब सिहोरा की अनदेखी और विलंब किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। समिति के अनुसार, प्रमोद साहू के आमरण सत्याग्रह की औपचारिक शुरुआत भी इसी दिन होगी।
सरकारी उपेक्षा पर फूटा जनाक्रोश
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि सिहोरा जिला की मांग कोई नई नहीं है। क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और प्रशासनिक सुविधा — तीनों दृष्टिकोण से सिहोरा को लंबे समय पहले जिला बनाया जाना चाहिए था। वक्ताओं ने कहा कि सिहोरा की पहचान एक प्रमुख व्यापारिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में रही है, लेकिन सरकारों की लापरवाही ने यहां के विकास को वर्षों पीछे धकेल दिया है।
सिहोरा वासियों ने प्रशासनिक ढिलाई और “लेट-लतीफी” पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अब आंदोलन आर-पार का होगा। कई कार्यकर्ताओं ने अपने उद्बोधनों में कहा कि अगर सरकार ने शीघ्र सकारात्मक निर्णय नहीं लिया तो वे सिहोरा बंद, धरना, सत्याग्रह और आत्मदाह जैसे कठोर कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
“अब या कभी नहीं” का नारा
आंदोलन में शामिल युवा वर्ग और सामाजिक संगठनों ने एक स्वर में कहा कि यह आंदोलन अब निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुका है। लोगों ने “अब या कभी नहीं — जिला बनाओ सिहोरा” के नारे लगाते हुए बैठक स्थल को संकल्प स्थल में बदल दिया।
सिहोरा की महिलाओं, युवाओं, किसानों और व्यापारियों ने भी बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज कराते हुए कहा कि वे आंदोलन के हर चरण में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
सिहोरा तैयार है निर्णायक संघर्ष के लिए
बैठक से यह संदेश स्पष्ट रूप से निकलकर आया कि सिहोरा अब “निर्णायक संघर्ष” के लिए तैयार है। समिति के सदस्यों ने कहा कि जब तक सिहोरा जिला घोषित नहीं होता, आंदोलन रुकेगा नहीं। आने वाले दिनों में आंदोलन की दिशा और तीव्रता दोनों बढ़ाई जाएंगी।
आंदोलन समिति ने अंत में सभी नागरिकों से अपील की कि वे सिहोरा की मातृभूमि के इस संघर्ष में एकजुट होकर हिस्सा लें, और 9 दिसंबर को सिहोरा पहुंचकर अपने अधिकार की आवाज को और बुलंद करें।




