मध्यप्रदेशराजनीति

सिहोरा जिला आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार वचन पर सवालों से घिरे सत्ता पक्क्ष के नेता, 9 दिसंबर सत्याग्रह से गरमाएंगे हालात यह संघर्ष किसी दल के विरोध में नहीं, बल्कि वादा निभाने की मांग,

कलयुग की कलम से राकेश यादव

सिहोरा जिला आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार वचन पर सवालों से घिरे सत्ता पक्क्ष के नेता, 9 दिसंबर सत्याग्रह से गरमाएंगे हालात यह संघर्ष किसी दल के विरोध में नहीं, बल्कि वादा निभाने की मांग,

कलयुग की कलम सिहोरा – सिहोरा जिला आंदोलन एक बार फिर पूरे क्षेत्र में जोर पकड़ रहा है और राजनीतिक हलकों में गर्माहट बढ़ गई है। आगामी 3 दिसंबर से शुरू होने वाली क्रमिक भूख हड़ताल और 9 दिसंबर के आमरण सत्याग्रह को लेकर जनता में व्यापक आक्रोश देखा जा रहा है। लोगों का साफ कहना है— “जिला बनाने का वादा भाजपा ने किया था, अब उसे ही निभाना होगा।”

स्थानीय नागरिकों ने भाजपा नेताओं—स्मृति ईरानी, प्रहलाद पटेल, संतोष बरकड़े और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान—द्वारा चुनावी सभाओं में किए गए आश्वासनों की याद दिलाते हुए कहा कि सिहोरा जिला बनाने की घोषणा केवल चुनावी वादा नहीं थी, बल्कि जनता की ज़रूरत और अपेक्षा थी। लोगों का आरोप है कि अब नेता एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर मामले से बचने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे नाराजगी और बढ़ रही है।

सिहोरा वासियों का कहना है कि जब केंद्र और राज्य—दोनों जगह भाजपा की सरकार है, तब भी मांग पूरी न होना भाजपा की साख पर सीधा सवाल है। वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव के प्रति भी लोगों ने असंतोष जताते हुए कहा कि सिहोरा जिला की मांग को गंभीरता नहीं दी जा रही, जिसके कारण क्षेत्र में भाजपा के प्रति नाराजगी तेज होती दिखाई दे रही है।

इधर, आंदोलन को व्यापक समर्थन मिलता जा रहा है। सिहोरा क्षेत्र के सभी राजनीतिक, सामाजिक और व्यावसायिक संगठन लगातार अपना समर्थन घोषित कर रहे हैं, जिससे आंदोलन जनांदोलन के रूप में बदलता दिख रहा है।

सत्याग्रह से जुड़े आयोजकों का कहना है कि यह संघर्ष किसी दल के विरोध में नहीं, बल्कि वादा निभाने की मांग का संघर्ष है। जनता की आवाज़ है— “भरोसा दिया था, तो निभाना भी भाजपा की ज़िम्मेदारी है।”

जैसे-जैसे सत्याग्रह की तारीख नजदीक आ रही है, सिहोरा का माहौल और अधिक गर्म होता जा रहा है। अब सबकी नजरें सरकार की प्रतिक्रिया पर टिक गई हैं। आने वाले दिनों में तय होगा कि सिहोरा जिला बनने की राह आसान होगी या संघर्ष और लंबा चलेगा।

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