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बीमारी आचार संहिता देखकर नहीं आती, जरूरतमंद लोगों को सरकार से आर्थिक मदद लेने गोपाल भार्गव ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी की रिपोर्ट

भोपाल– मध्यप्रदेश के मंत्री रहे गोपाल भार्गव आचार संहिता को लेकर चर्चाओं में हैं। गोपाल भार्गव एक पत्र चुनाव आयोग के नाम लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि बीमारियां आचार संहिता देखकर नहीं आती हैं।
मध्यप्रदेश की सरकार में मंत्री रह चुके गोपाल भार्गव सागर जिले की रहली विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक हैं। 9 बार के विधायक गोपाल भार्गव ने चुनाव आयोग को पत्र में लिखकर कहा है कि मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से जरूरतमंद बीमार व्यक्तियों का अलाज होता है और सरकार आर्थिक मदद करती है। इन दिनों लोकसभा चुनाव 2024 की आचार संहिता प्रभावी होने के कारण तीन दिन से स्वेच्छानुदान पर प्रतिबंध लग गया है। ऐसे में अब इसका असर लोगों पर पड़ने लगा है।
गोपाल भार्गव ने यह पत्र मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन के नाम लिखा है। भार्गव ने लिखा है कि मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान को आचार संहिता की परिधि से बाहर रखा जाए, क्योंकि बीमारी चुनाव या आचार संहिता देखकर नहीं होती है।

गोपाल भार्गव ने पत्र में यह भी लिखा है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र रहली समेत पूरे प्रदेश में आचार संहिता लगी होने के कारण मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के प्रकरण स्वीकृत होने बंद हो गए। इस कारण बहुत से जरूरतमंद लोग आर्थिक मदद के लिए भटक रहे हैं। मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से केवल गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सहायता राशि स्वीकृत की जाती है। इसलिए इसे आचार संहिता की परिधि से मुक्त रखते हुए शासन को स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किए जाएं।

यह तो अस्पताल के खाते में दी जाती है

गोपाल भार्गव ने आगे लिखा कि इस बारे में मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान राशि गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए दी जाती है। यह स्वीकृत राशि अस्पताल की ओर से मरीज को दिए गए इलाज के अनुमानित प्राक्कलन के आधार पर अस्पताल के खाते में ट्रांसफर की जाती है।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का जवाब आया

मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन का कहना है कि इस तरह की आर्थिक सहायता पर कोई प्रतिबंध नहीं है। आयोग की अनुमति से राशि स्वीकृत की जा सकती है, यदि ऐसा कोई मामला सामने आएगा तो चुनाव आयोग को भेंजकर अनुमति ली जाएगी।

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