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एमपी के कटनी में हुआ माधव नगर हत्याकांड, पुलिस की नाकामी या मिलीभगत? खुलेआम कत्ल और खामोश थे कानून के रखवाले

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी

कटनी- माधव नगर में हुई गगन बजाज की निर्मम हत्या ने पूरे जिले को झकझोर दिया है। लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि यह हत्या न तो अचानक हुई और न ही गुपचुप, बल्कि तीन दिन पहले से चल रहे विवाद के बाद योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दी गई — और पुलिस खामोश तमाशबीन बनी रही।

तीन दिन तक चलता रहा तनाव, पुलिस सोती रही

सूत्रों की मानें तो रॉबर्टगंज इलाके में पिछले तीन दिन से दो पक्षों के बीच तनाव चरम पर था। इलाके के जिन युवकों ने गगन बजाज की हत्या की, वे अधिकांश निगरानीशुदा बदमाश हैं — यानी पुलिस की “लिस्ट” में शामिल अपराधी। बावजूद इसके कटनी पुलिस न तो मौके पर पहुंची, न गश्त बढ़ाई और न ही किसी की धरपकड़ की। सवाल उठता है: क्या पुलिस को इन घटनाओं की भनक नहीं लगी? या फिर यह लापरवाही नहीं, अपराधियों से अघोषित सांठगांठ है?

मृतक बेदाग,तो क्या पुलिस ने दी खुली छूट

गगन बजाज, जिसकी हत्या हुई, उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था। वहीं, उसका भाई भले ही पुराना अपराधी हो, लेकिन यह पुलिस को किसी निर्दोष की जान जोखिम में डालने का लाइसेंस नहीं देता। पुलिस की जिम्मेदारी होती है अपराधियों की निगरानी और जनता की सुरक्षा लेकिन यहां उल्टा हो रहा है।

सीसीटीवी में कातिलों की ‘ताकत’ देखिए, पुलिस का डर गायब!

घटना के जो सीसीटीवी फुटेज सामने आए हैं, उनमें साफ देखा जा सकता है कि आरोपी पूरी तैयारी और घेराबंदी के साथ हत्या को अंजाम देते हैं। मतलब ये साफ है उन्हें कानून या पुलिस का कोई खौफ नहीं।

निगरानीशुदा कर रहे वारदात, तो पुलिस किसकी कर रही निगरानी

निगरानीशुदा बदमाश अगर खुलेआम कत्ल करें, तो ‘निगरानी’ पर सवाल तो उठेंगे ही!कटनी पुलिस का दावा है कि वह सक्रिय निगरानी रखती है, लेकिन जब निगरानीशुदा अपराधी सरेआम हत्या कर दें, तो फिर पुलिस की निगरानी किस काम की? क्या ये अपराधियों की हिम्मत है या पुलिस की मिलीभगत का परिणाम? क्या कानून का राज खत्म हो चुका है? आखिर गगन की हत्या का जिम्मेदार कौन?

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