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आचार्य विद्यासागर हुए ब्रह्मलीन, रात्रि 2:30 बजे चंद्रागिरी तीर्थ डोंगरगढ़ में ली समाधि, सरकार ने घोषित किया राजकीय शोक

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी की रिपोर्ट

भोपाल- अर्द्ध रात्रि में धर्म का सूर्य अस्त हो गया। युग दृष्टा संत आचार्य श्रीविद्यासागरजी महाराज ब्रह्म में लीन हो गए। संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज की रात्रि 2: 30 बजे चंद्रागिरी तीर्थ डोंगरगढ़ में समाधि हुई। संत विद्यासागर की समाधि की सूचना मिलते ही देशभर में शोक व्याप्त हो गया है। डोंगरगढ़ में भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा है।
शनिवार-रविवार की अर्द्ध रात्रि में धर्म का सूर्य अस्त हो गया। युग दृष्टा संत आचार्य श्रीविद्यासागरजी महाराज ब्रह्म में लीन हो गए। संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज की रात्रि 2: 30 बजे चंद्रागिरी तीर्थ डोंगरगढ़ में समाधि हुई। संत विद्यासागर की समाधि की सूचना मिलते ही देशभर में शोक व्याप्त हो गया है। डोंगरगढ़ में भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा है। इधर एमपी सरकार ने आधे दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया है।
संत विद्यासागरजी 17 फरवरी शनिवार यानि माघ शुक्ल अष्टमी को पर्वराज के अंतर्गत उत्तम सत्य धर्म के दिन रात्रि 2:35 बजे ब्रह्मलीन हुए। राष्ट्रहित चिंतक गुरुदेव विद्यासागरजी ने विधिवत सल्लेखना बुद्धिपूर्वक धारण कर ली थी। उन्होंने पूर्ण जागृतावस्था में आचार्य पद का त्याग किया। 3 दिन के उपवास गृहण करते हुए आहार एवं संघ का प्रत्याख्यान कर दिया था। प्रत्याख्यान व प्रायश्चित देना बंद कर दिया था और मौन धारण कर लिया था।

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