कटनी जिला अस्पताल से हैरान कर देने वाली खबर आई सामने। जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को लूटने के लिए गिरोह काम कर रहा है। कुछ डॉक्टर और प्राइवेट अस्पताल के एजेंट के रूप में घूम रही कुछ महिलाएं और पुरुष अस्पताल प्रबंधन की लचर कार्यप्रणाली का फायदा उठाकर मरीज को अच्छे उपचार का लालच देकर अपने जाल में फंसा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला यहां शुक्रवार को उस समय देखने को मिला जब हाईरिस्क गर्भवती महिला को ही अस्पताल की आशा कार्यकर्ताएं अपने साथ ले गईं।
खास बात ये है कि इन आशा कार्यकर्ताओं ने अच्छे इलाज का लालच देकर गर्भवती महिला को अपने साथ प्राइवेट सेंटर ले गईं और 900 रुपए लेकर उसकी सोनोग्राफी करवा दी। यही नहीं, इसके बाद ये आशा कार्यकर्ता महिला को सरकारी अस्पताल में पदस्थ महिला डॉक्टर श्रद्धा द्विवेदी के जिला अस्पताल से दो किलोमीटर दूर सरकारी आवास पर इलाज कराने ले गईं। वहीं, घटना की जानकारी जब बहोरीबंद स्वास्थ्यकर्मियों को लगी तो हंगामा खड़ा हो गया। मामला बढ़ता देख हाईरिस्क गर्भवती महिला को छोड़कर सभी आशा कार्यकर्ता मौके से भाग निकलीं। इसके बाद पीड़ित गर्भवती महिला को बुरी हालत में दोबारा जिला अस्पताल लाया गया।
बहोरीबंद के ग्राम पटुरिया की आशा कार्यकर्ता लक्ष्मी बाई ने बताया कि उनकी रिश्तेदार 23 वर्षीय सविता पति छोटेलाल कोल गर्भवती है और प्रसव का समय हो चुका है। प्रसव पीड़ा होने पर उसे बहोरीबंद में भर्ती करना था, लेकिन हाईरिस्क होने और खून की कमी के चलते बहोरीबंद में डॉक्टर की सलाह पर उसे सीधे 108 एंबुलेंस की सहायता से जिला अस्पताल लाया गया। यहां दोपहर 2.30 ओपीडी में पर्चा बनवाकर मातृ एवं शिशु परिचर्या भवन पहुंचे। यहां सभी कक्ष बंद थे। पूछने पर पता चला कि अंदर सफाई चल रही है। इसपर हम बाहर ही बैठ गए। इसी दौरान चार-पांच आशा कार्यकर्ता आईं और उन्होंने कहा- बहन परेशान न हो, चलो में भर्ती करवा देती हूं।
आटो बुलाया और ले गईं सोनोग्राफी सेंटर
लक्ष्मी ने बताया कि हमें लगा कि आशा कार्यकर्ताएं मरीज को जिला अस्पताल में ही भर्ती कराएंगी लेकिन उन्होंने आटो बुलवा ली और प्राइवेट सेंटर में सोनोग्राफी करवाने पहुंची। यहां 900 रुपए में सोनोग्राफी करवाई और सरकारी डॉक्टर श्रद्धा द्विवेदी के आवास में लेकर पहुंची। इसके बाद आशा लक्ष्मी ने बहोरीबंद स्टॉफ को जानकारी दी तो स्टॉफ ने जिला अस्पताल जाने कहा। इसी बीच सूचना आला-अधिकारियों तक पहुंची तो मौके पर मौजूद आशा कार्यकर्ताएं रफूचक्कर हो गईं।
अस्पताल से डॉक्टर के घर पहुंचे कलेक्टर
जिला अस्पताल में निरीक्षण के दौरान जब गर्भवती महिला के परिजनों ने घटनाक्रम कलेक्टर को बताया तो कलेक्टर एक्शन मोड में आ गए। पीडि़त परिवार को साथ लेकर डॉक्टर के सरकारी आवास पहुंचे और जांच की। बताया जा रहा है कि सरकारी आवास या किसी प्राइवेट हॉस्पीटल में ही हाईरिस्क गर्भवती का प्रसव करवाने की तैयारी थी।
देर रात पहले एडीएम फिर कलेक्टर पहुंचे अस्पताल
जिला अस्पताल परिसर से हाईरिस्क गर्भवती को गुमराह कर सरकारी डॉक्टर के घर ले जाने की जानकारी जैसे ही अफसरों को मिली तो हडक़ंप मच गया। देररात एडीएम साधना परस्ते जिला अस्पताल पहुंची और सिविल सर्जन कक्ष में पूछताछ शुरू की। इसके आधा घंटे बाद कलेक्टर अविप्रसाद भी अस्पताल पहुंचे और बंद कमरे में अफसर मामले की जांच में जुटे रहे।
कलेक्टर ने बनाई जांच टीम
मामले को लेकर कलेक्टर अवि प्रसाद का कहना है कि, जिला अस्पताल में निरीक्षण के दौरान ये तथ्य संज्ञान में आया कि बहोरीबंद विकासखंड से 108 एंबुलेंस से लाई गई एक मरीज को जिला अस्पताल में भर्ती के होने के बाद निजी अस्पताल में प्रसव/जांच कराने हेतु आशा कार्यकर्ताओं द्वारा संपर्क किया गया है। प्रकरण सामने आने पर जांच के लिए तीन सदस्यीय दल का गठन किया गया है। जांच टीम शामिल अपर कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर और सिविल सर्जन 24 घंटे के अंदर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे।