मध्यप्रदेश

जबलपुर कलेक्टर के बेटे का अंतिम संस्कार आज गौरीघाट स्थित मुक्तिधाम में हुआ, चचेरे भाई ने दी मुखाग्नि; दिल्ली एम्स में इलाज के दौरान हुई थी मौत

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी की रिपोर्ट

जबलपुर- कोई पिता अपने बेटे की अर्थी को कंधा दे, इसे ​दुनिया का सबसे बड़ा दुख कहा जाता है। जबलपुर में ऐसा ही त्रासद और कारुणिक दृश्य दिखाई दिया। यहां के कलेक्टर दीपक सक्सेना के 21 साल के बेटे अमोल सक्सेना की दिल्ली में हीट स्ट्रोक से मौत हो गई। सोमवार शाम को जबलपुर में उनका अंतिम संस्कार किया गया। कलेक्टर दीपक सक्सेना युवा बेटे को कंधा देने आए तो बिलख उठे। अमोल की मां का रो रोकर बुरा हाल हो चुका है।

कलेक्टर दीपक सक्सेना के बेटे अमोल का शव एयर एंबुलैंस से जबलपुर लाया गया था। यहां सिविल लाइंस स्थित कलेक्टर निवास से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। अंतिम संस्कार गौरीघाट मुक्तिधाम पर किया गया। चचेरे भाई अर्पित ने अमोल को मुखाग्नि दी।

अमोल सक्सेना का रविवार यानि 2 जून को दिल्ली में निधन हो गया था। वे यहां स्क्रिप्ट राइटिंग की पढ़ाई कर रहे थे। शनिवार को उनकी तबियत खराब होने के बाद उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने अमोल को मृत घोषित कर दिया।
बताया जा रहा है कि रविवार को सुबह अमोल ने फोन नहीं उठाया। तब परिजनों ने अपने रिश्तेदारों के साथ कलेक्टर ने एक मित्र को भी कॉल किया। वे तुरंत अमोल के पास पहुंचे और तत्काल अस्पताल ले गए लेकिन तब तब उनकी सांसे थम चुकी थीं।
सोमवार को एम्स दिल्ली में पोस्टमार्टम के बाद अमोल का पार्थिव शरीर दोपहर में एयर एंबुलेंस द्वारा दिल्ली से जबलपुर के लिए रवाना किया गया। शाम को मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया।
इससे पहले अमोल की मौत की खबर आते ही जबलपुर प्रशासनिक हल्कों में माहौल गमगीन हो गया। मूलतः उज्जैन के निवासी कलेक्टर दीपक सक्सेना जबलपुर में अपनी मां और पत्नी के साथ रह रहे हैं। पुत्र अमोल के अलावा उनकी एक पुत्री भी है।
कलेक्टर दीपक सक्सेना के पुत्र अमोल को राइटिंग का खासा शौक था। महज 14 साल की उम्र में ही अमोल की एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी थी। वे दिल्ली में फिल्म और टेलीविजन राइटिंग का कोर्स कर रहे थे।

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