खबर का असर उमरियापान के ग्राम बम्हनी (कुदवारी)बालिका छात्रावास में चल रहा फर्जीवाड़े में जांच दल का गठन तीन दिवस में जांच दल सौपेगा रिपोर्ट छात्रावास अधीक्षका और बीईओ आफिस में पदस्थ बाबू खेल रहे थे फर्जी बिलों का खेल
कलयुग की कलम से राकेश यादव
खबर का असर उमरियापान के ग्राम बम्हनी (कुदवारी)बालिका छात्रावास में चल रहा फर्जीवाड़े में जांच दल का गठन तीन दिवस में जांच दल सौपेगा रिपोर्ट छात्रावास अधीक्षका और बीईओ आफिस में पदस्थ बाबू खेल रहे थे फर्जी बिलों का खेल
कलयुग की कलम ढीमरखेड़ा-उमरियापान के बम्हनी में स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस बालिका छात्रावास में व्यापक पैमाने पर फर्जीवाड़े का खेल खेला जा रहा था जिसमें विगत दिवस प्रमुखता के साथ इस मामले को कलयुग की कलम द्वारा उठाया गया था जिसमें संज्ञान लेते हुये जिला परियोजना समन्वयक के द्वारा जांच दल का गठन किया जाकर तीन दिवस के अंदर जांच रिपोर्ट तलब की गई है। जांच दल में प्रेम कुमार कोरी, विकासखंड स्त्रोत केन्द्र समन्वयक जनपद शिक्षा केन्द्र ढीमरखेड़ा, हेमंत सामल, विकासखंड अकादमिक समन्वयक वित्त जनपद शिक्षा केन्द्र ढीमरखेड़ा एवं संदीप कुमार शुक्ला लेखापाल जनपद शिक्षा केन्द्र ढीमरखेड़ा को शामिल कियाग गया है।

विदित हो कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस बालिका छात्रावास उमरियापान में में पदस्थ अधीक्षका गिरजा सिंह एवं बीईओ कार्यालय ढीमरखेड़ा में पदस्थ सहायक गे्रड-2 अखिलेश त्रिपाठी के द्वारा शासन के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है और बिना निविदा प्रकाशन के फर्मों से सामग्री क्रय की जा रही है जबकि इस संबंध में शासन के द्वारा स्पष्ट प्रावधान दिये गये है कि बिना निविदा प्रकाशन के किसी भी फर्म से सामग्री क्रय नहीं की जाये लेकिन इस बात से छात्रावास अधीक्षका एवं बाबू को कोई लेना देना नहीं है। दोनों की मनमर्जी के कारण शासन को लाखों रूपये की आर्थिक क्षति कारित की जा रही थी।
मीनू अनुसार नहीं मिल रहा था भोजन
विश्वनीय सूत्रों ने बताया कि छात्रावास अधीक्षका के द्वारा बालिकाओं की सेहत से भी खिलवाड़ किया जा रहा है और निर्धारित मीनू के अनुसार उन्हें भोजन उपलब्ध नहीं करवाया जाता है। सुबह के समय बच्चों को जो नास्ता दिया जाता है उसकी गुणवत्ता भी इतनी खराब रहती है कि कई बार बच्चे खाने से मना कर देते है। इस संबंध में शासन के द्वारा मापदंड निर्धारित कर प्रत्येक दिन अलग-अलग भोजन की व्यवस्था के हिसाब से राशि छात्रावासों को दी जाती है लेकिन उसका लाभ छात्रावास में रह रही बालिकाओं को नहीं मिल रहा था।




