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मालेगांव ब्लास्ट मामले में भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ NIA कोर्ट ने जारी किया वारंट

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी की रिपोर्ट

मुंबई- साल 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनके खिलाफ मुंबई की एनआईए अदालत ने वारंट जारी किया है। मालेगांव विस्फोट मामले की आरोपी ठाकुर बार-बार चेतावनी के बावजूद अदालत में पेश नहीं हो रही थीं, जिसके बाद सोमवार को उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया।
मुंबई में विशेष एनआईए अदालत (NIA Court) में आज मालेगांव 2008 धमाका मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया। दरअसल एनआईए अदालत सीआरपीसी के तहत मामले के आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है। इसलिए आरोपियों को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया था।
पिछले महीने अदालत ने प्रज्ञा ठाकुर को कार्यवाही में शामिल नहीं होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। इस वजह से आज विशेष जज एके लाहोटी ने बीजेपी सांसद ठाकुर के खिलाफ दस हजार रुपये का जमानती वारंट जारी किया। साथ ही कोर्ट ने जांच एजेंसी को 20 मार्च तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
महाराष्ट्र के मुस्लिम बहुल इलाके मालेगांव में हुए विस्फोट के सिलसिले में अदालत अब तक तीन सौ से अधिक गवाहों का परीक्षण कर चुकी है। 35 से ज्यादा गवाह अपने बयान से मुकर चुके है। इस मामले में भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के अलावा लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (रिटायर्ड), अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी आरोपी है। सभी वर्तमान में जमानत पर हैं। आरोपियों की दलील है कि उन्हें इस मामले में जबरन फंसाया गया है।
मालूम हो कि मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के पास हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस मामले की जांच की जिम्मेदारी पहले महाराष्ट्र एटीएस को दी गई थी। जांच की अगुवाई खुद उस समय के ATS प्रमुख हेमंत करकरे कर रहे थे, लेकिन मालेगांव बम विस्फोट की गुत्थी सुलझने से पहले ही करकरे 26/11 मुंबई आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। बाद में इस मामले को एनआईए को सौंप दिया गया।

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