मध्यप्रदेशराजनीति

 सिहोरा में जनसैलाब का फूट पड़ा गुस्सा पूरा खितौला–सिहोरा बंद, टायर जले–पुतले फूंके, आमरण सत्याग्रह ने पकड़ा उफान तीन लोगों ने की आत्मदाह की घोषणा — आंदोलन निर्णायक मोड़ पर

कलयुग की कलम से राकेश यादव

 सिहोरा में जनसैलाब का फूट पड़ा गुस्सा पूरा खितौला–सिहोरा बंद, टायर जले–पुतले फूंके, आमरण सत्याग्रह ने पकड़ा उफान तीन लोगों ने की आत्मदाह की घोषणा — आंदोलन निर्णायक मोड़ पर

कलयुग की कलम सिहोरा -सिहोरा को जिला बनाने की मांग ने अब उग्र जनआंदोलन का रूप ले लिया है। दूसरे दिन भी खितौला–सिहोरा पूरी तरह बंद रहा। बाजार, दुकानें, यातायात—सब थम गए। शहर की सड़कों पर उमड़े हजारों लोगों के गुस्से ने टायरों की आग और पुतला दहन के साथ सरकार तक कठोर संदेश भेजा। पूरे क्षेत्र में तनाव और उबाल दोनों चरम पर हैं।

आमरण सत्याग्रही प्रमोद साहू का भावुक संकल्प – “अंतिम सांस तक संघर्ष”

धरना स्थल पर आमरण सत्याग्रह पर बैठे प्रमोद साहू जब मंच पर पहुंचे तो भीड़ में सन्नाटा गूंज उठा। उन्होंने दृढ़ स्वर में कहा—“अन्न–जल त्याग आमरण सत्याग्रह मेरी अंतिम सांस तक जारी रहेगा… सिहोरा जिला बनकर ही रहेगा।”उनके इस ऐलान से जनता में जोश और आक्रोश का ज्वार उमड़ पड़ा।

जनप्रतिनिधि भी सड़क पर – पार्षदों की सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी

आंदोलन को और बल तब मिला जब भाजपा पार्षद बेबी विनय पाल तथा कांग्रेस पार्षद राजेश चौबे, अरशद खान सहित सभी 6 पार्षदों ने सार्वजनिक रूप से सिहोरा जिला की मांग के समर्थन में इस्तीफा देने तक की घोषणा कर दी।

यह पहला अवसर है जब दोनों दलों के जनप्रतिनिधि खुले मंच पर जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाते दिखे।

शहर थमा… नारों से गूंजा — “अब और इंतजार नहीं”दोपहर 3 बजे हजारों लोगों की रैली मुख्य मार्गों से निकली।“सिहोरा जिला बनाओ”, “हमारा हक हमें दो” जैसे नारों से पूरा नगर गुंजायमान रहा।लेकिन आंदोलनकारियों की नाराजगी इस तथ्य से और बढ़ गई कि सरकार की ओर से न तो कोई बयान आया और न ही आश्वासन।

तीन नागरिकों ने की आत्मदाह की घोषणा — माहौल और भयावह

आक्रोश की चरम सीमा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जाकिर खान ने 12 दिसंबर, पल्लू महाराज ने 16 दिसंबर, तथा वरिष्ठ अधिवक्ता राजकुमार तिवारी ने 1 जनवरी को आत्मदाह की घोषणा की है।इन घोषणाओं ने पूरे क्षेत्र में बेचैनी और गंभीरता और बढ़ा दी है।

सरकारी चुप्पी, बढ़ता रोष — आंदोलन उग्र होने के संकेत

शासन और प्रशासन की चुप्पी ने हालात को और विस्फोटक बना दिया है।जनता की भावना अब स्पष्ट है सिहोरा जिला केवल मांग नहीं, यह जनप्रतिबद्ध संकल्प बन चुका है।यदि जल्द समाधान सामने न आया, तो आंदोलन और भी तीखा और व्यापक रूप ले सकता है।

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