“बंशी के खेल” का
डायरेक्टर कौन…?
रतलाम । रत्नों की इस महा- रत्नपुरी नगरी में “बंशी” को कई नामों से जानते एवं पहचानते आ रहे हैं । जो इस बंशी की लीला जानते हैं । सबके अपने-अपने नजरिये है मुम्बई की मायावी नगरी की फिल्म इण्डस्ट्री में सारे-गा-मा के सुरीले मीठे-मीठे सुर में सुर -ताल मिलती है । लेकिन अपने रतलाम जंक्शन में कुछ महारथी सौदागर “बंशी” में कोड वर्ड में छुपा कर रखा एक राज है ।
विश्वस्त्र सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि नगर के मध्य शहर सराय के बाजू में लगे नित्यानंद मार्केट में किसी समय के नागरिक सहकारी बैंक लगा करती थी। लेकिन समय का भी अजब-गजब खेल होने से आज यहाॅ (अलीगढ़ी ताला) लटका हुआ है । मार्केट में कुछ एजेंसी की शॉप, खूबसूरत- खूबसूरत कपड़ों की लॉण्ड्री, लक्ष्मी आयुर्वैदिक, डॉक्टर साहब का क्लीनिक, चाटर्ड एकाउन्टेन्ट का ऑफिस, पलंग पेटी, अलमारी का कारखाना, राधे कृष्ण बेकरी, परचुनी समान की दुकान, हिंदू संगठन का ऑफिस यहां आने जाने वालों की खातेदारी करने के लिये चाय की होटल आदि इन पच्चीसो दुकान ऑफिस, शोरूम, इस नित्यानंद मार्केट में सुसज्जित होकर शहर सराय चौराहे पर चार चाॅद लगा रहे हैं ।
मार्केट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कई रास्तों को जोड़ने के लिये आम जनता जनार्दन के लिये (शॉर्ट-कट) रास्ते से बहुत उपयोगी होने के साथ-साथ रास्ते के मध्य कोने में गरीबी रेखा की शासकीय कंट्रोल की दुकान के आगे ही बीच में कृषि उपज मण्डी सदस्य एवं कांग्रेस पार्षद शांतिलाल वर्मा उर्फ (शान्तु पहलवान) महाशय का बहुत ही खूबसूरत शानदार और जानदार ऑफिस के सामने गुजरने वाले इक्के-दुक्के राहगीर जन कांग्रेसी नेता को सलाम-दुआ ठोकते हुये जाते हैं ।
सैकड़ों लोगों से गुलजार रहने वाले इस मार्केट में “बंशी का खेल” इन सबके बीच में और तो और कांग्रेस के पार्षद शांतिलाल वर्मा उर्फ (शान्तु पहलवान) की आॅखों के सामने कितनी जादूगिरी से आॅख में से काजल निकालने का खेल होता है ।
सबसे बड़ी अफसोस की बात यह है कि इस मार्केट से गुजरने वाले हर ज्ञानी- धानी इस “बंशी के खेल” से कैसे अन्जान है। जो चिन्तनीय है ।
अब देखना यह है कि “बंशी का खेल” किसकी छत्र-छाया और किसके इशारे पर खेल रहे हैं । क्या आज तक जैसा चलता आया है आगे भी वैसा ही चलता रहेगा या फिर कांग्रेस पार्षद शांतिलाल वर्मा उर्फ (शान्तु पहलवान) को भनक लगने के बाद इस पर अल्प विराम लगेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन इतना तो तय है कि इस “बंशी के खेल” का
असली डायरेक्टर कौन है….? असली डायरेक्टर कौन है…..?