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1 अक्टूबर 2020 को लिखी पोस्ट एक बार फिर आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत

कलयुग की कलम

1 अक्टूबर 2020 को लिखी पोस्ट एक बार फिर आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत

       आयुक्त के रूप में कमाया सम्मान, कलेक्टर बनकर गंवा दिया

       मनीष सिंह आपने इंदौर को लजा दिया

        टैक्स चोर को रियायत पुरानी बात, हरभजन सिंह के खिलाफ जेल प्रशासन द्वारा भेजे गए आवेदन में लेट लतीफी क्यों?

पं.प्रदीप मोदी

9009597101

         कलेक्टर मनीष सिंह ने इंदौर में लंबा समय गुजारा है, वे इंदौर नगर निगम के कमिश्नर भी रहे हैं। कमिश्नर रहते हुए मनीष सिंह ने अपनी प्रतिभा से मां अहिल्या की नगरी इंदौर को अभिभूत कर दिया था, इंदौर की जागरूक जनता ने भी तत्कालीन निगमायुक्त और वर्तमान कलेक्टर मनीष सिंह को सिर-माथे पर बैठाया था।स्वच्छता अभियान में जनता ने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और इंदौर को नंबर एक का खिताब दिलाया। निगमायुक्त के रूप में मनीष सिंह को इंदौर में अप्रतिम लोकप्रियता मिली, कलेक्टर बनकर मनीष सिंह क्या वह लोकप्रियता कायम रख पाए, बरकरार रख पाए? मनीष सिंह को आत्मावलोकन करना चाहिए। इंदौर नगर निगम के आयुक्त के रूप में लोकप्रियता अर्जित करने वाले मनीष सिंह कलेक्टर बनकर अलोकप्रिय हुए हैं, निंदा के पात्र बने हैं,धन की ओर आकर्षित नजर आए हैं। कार्यप्रणाली पर ध्यान दे तो मनीष सिंह नगर निगम और जिला प्रशासन में अंतर ही महसूस नहीं कर पाए हैं, उन्होंने जिला प्रशासन को भी निगम प्रशासन की तरह चलाने की कोशिश की है, यही कारण है कि आयुक्त के रूप में सफल मनीष सिंह कलेक्टर के रूप में फेल हुए हैं। बहुत कम अधिकारी होते हैं, जिनका नाम जन-जन की जिव्हा पर चढ़ जाता है और इसमें मनीष सिंह सौभाग्यशाली रहे हैं, लेकिन कलेक्टर बनकर मनीष सिंह ने अपनी कार्यप्रणाली से उस सौभाग्य को निंदा का पात्र बना लिया। टैक्स चोर वाधवानी के मामले में कलेक्टर मनीष सिंह का रवैया ढिलाई वाला रहा, जिसके कारण सोशल मीडिया में मनीष सिंह की बहुत छिछालेदर हुई थी। अब आरोप लग रहे हैं कि वे जेल प्रशासन द्वारा भेजा गया पत्र दबाकर बैठे हैं, जिसमें हनीट्रेप मामले की आरोपी महिला ने आरोप लगाया है कि निलंबित निगम इंजीनियर हरभजन सिंह ने उसके साथ गलत काम किया है, अतः हरभजन पर बलात्कार की धाराओं में प्रकरण दर्ज किया जाए।यह लिखित आवेदन जेल प्रशासन ने 16/9/20 को ही कलेक्टर को प्रस्तुत कर दिया था, लेकिन कलेक्टर ने ध्यान नहीं दिया और हरभजन से दोस्ती का फर्ज निभाया। उल्लेखनीय है कि कलेक्टर मनीष सिंह निगमायुक्त रहे हैं तथा गरम गोश्त का शौकीन चरित्रहीन हरभजन सिंह भी निगम के सिटी इंजीनियर जैसे पद पर काबिज रहा है, यही कारण रहा होगा कि कलेक्टर चरित्रहीन हरभजन से सहानुभूति रखते हैं? कलेक्टर ने कर्त्तव्य से विमुख होकर चरित्रहीन हरभजन से दोस्ती निभाने का काम किया है, जो निंदनीय है। हनीट्रेप मामले की आरोपी महिला के आवेदन को संज्ञान में लेते हुए हरभजन पर तत्काल बलात्कार की धाराओं में प्रकरण दर्ज करना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो यही कहा जाएगा मनीष सिंह आयुक्त बनकर जिस इंदौर को सजाया था, कलेक्टर बनकर उसे लजा दिया।

 

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